घोसले
से परिंदे उड़े थे
तो आये घर लौट भी
हमने बस उसको जाते देखा
है इंतज़ार की कचोट भी
मिलो कभी तो तुमसे हमदम
हाले दिल कुछ कहना है
टूटी नाव है दोनों की है
साथ भवर के बहना है
चलो उड़ा ले जाओ मुझको
पागलपन के बवंडर में
आँखे जो देखे, वो भर जाये
धूल भरे इस अंधड़ में
अब और कितने फेरे लेंगे
की ये रिश्ते मुकम्मल हो
वचन ले लिए जब नैनों ने
शाजिश में दिल ही शामिल हो
हाथ पकड़ कर रोक लो कभी
की ये अब हम से नहीं होगा
उम्र गुजर गयी सोच सोच कर
तेरी नज़रो से जो देखू उस भोर का रंग कैसा होगा
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