जब कोयल बागो में बोलेंगी 
और कानो में रास घोलेगी 

तब क्या प्रिय तुम रह पाओगे

मिलने भागे नहीं आ जाओगे?



जब होगे बदल मेघभरे 

उद्विग्न बिजलियाँ कडकेंगि

जब तपती धरती की ऊष्मा 

तेरी सांसो को जकङेंगी 

जब उमस टूटकर बरसेगी 

भीतर तक तुम भीग न जाओगे?



जब घिरे रहोगे अपनों में 

मन खोया होगा मेरे सपनो में 

होठ कहेंगे झूठी बातें

काँटों सी चुभेंगी उधार की रातें

कलपते ह्रदय के रुदन को प्रियतम 

कैसे झुठला पाओगे?



जब सूनापन साथी होगा 

जब हर एक संयम टूटने को 

मेरा एक ज़िक्र काफी होगा 

यादो के पन्ने टटोलोगे, मेरी एक झलक भर पाने को 

कैसे दीप नयन थक हार प्रिये 

जीवन भर यु जल पाएंगे? 

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