एक ख्वाहिश इश्क़ की

बस एक ख्वाहिश है सनम

उम्र भर भी बाहो में

सदियाँ भी पल भर से कम

जो तपिश एक बून्द को

मुहताज होकर रह गयी

सामने उसके पड़ा कोई

सागर भी कर सका नम

एक वो झोका हुआ करता था

ले जाता था दामन उड़ा

और संग में वापस कई

खुशबुएं भी लाता था

एक ये आंधी हुयी

जो ठहरी है क़यामत तलक

ले गयी सब, सामने से

कुछ दिया जो वादा था

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