दिलरुबा तुझसे हाले दिल बयां करना रह गया
जो पता था उसको फिर से दुहराना था, रह गया
अंधिया चली बदले मौसम पहनी बाग़ ने नयी कोपले
फिर भी एक सुखी डाल पे कांपता सा एक पत्ता रह गया

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