मैं
कैसे बोल दूँ
कैसे ये लब खोल दूँ कहो
की अगर सच कहा तो
लोग कहेंगे ये मैंने कहा ही नहीं
कहेंगे, मुझे होश में आने की जरुरत है
कहेंगे, मुझे परवाह न करने की आदत है
चुप रहू तो शामत है
कह जाऊं तो आफत है
मुझे पता है कहेंगे की दीवानों सी ये हरकत है
वो भी न हुआ तो पराया झट से बना देंगे मुझे
किस्से कहानिया अनगिनत उटपटांग बाते
अपनी जितनी ही और अपनी औकात बता देंगे मुझे
क्यों सारे सच कहानियो की लिबास में कहे जाते हैं?
क्यों हम जिंदगी को यु बनके लाश जिए जाते हैं
एक दिन तो बनना है, क्यों अभी से डाले आदत
झूठी हंसी के भीतर, एक दाने भर की ख़ुशी तलाश आते हैं
Comments