जब बारिश के झोंके होंगे
एक झपकी सी ले लेना तुम
उस खिड़की के सिरहाने पर
टेक लगा सो लेना तुम
मैं हौले से जाउंगी
उस झोंके में थपकी बनकर
आहट मेरी सुन पाओगे
गुजरुंगी बूंदों की झुनकी बनकर
एक शरारत भरी मेरी
ठंढी फूँक भी छूकर जाएगी
मेरी साँसों की गर्मी
मिटटी से उठकर आएगी
आगोश में भरने लेने का भी
तेरा मन मचला जायेगा
बस तभी तेरी उनींदी पलकों में
मेरा अनूठा सपना आएगा

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