एक महकती सी जो रात, तेरे हवाले कर भी दूँ
कौन सी आफत आएगी एकबार मन की सुन भी लूँ
 
बस एक छोटी सी बात मुझे रोकती है जान लो
जानती हूँ, धूरी पे मेरी दुनिया ये घूमती नहीं
कही बैरन सुबह मुझे विदा करने आजाये तो
तेरे बरसती आँख को मैं कौन सी तसल्ली दूँ

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