न
शर्माओ मुझसे की रात छोटी बहुत है
न रूठो अभी की मुझे करने की बाते बहुत है
यु नज़रे न फेरो, न करो जेहमत जाने की
कदम भर का फासला भी, जान लेने को बहुत है
हैं गलियों में अँधेरे , न जाओ झाँकने खिड़कियों से
की रौशनी से तुम्हारे, चाँद जल्दी न चला जाए
कही सुबह न चली आये और रह जाये आरज़ू धरी सी
डर मुझे अब इसी बात का, साले मन में बहुत है
चले आओ की सारी मंजिले और सारे रस्ते यही हैं
मान जाओ की सदियों से हम, तुम्हारे वास्ते यही है
क्यों एक सूरज ही जिन्दा रखता है धरती को
कहने को आसमा में वैसे, सितारे यु तो बहुत हैं
Comments