मीठी बोली चंचल
चितवन
कोमल गात कटार
नयन
भाव भंगिमा नित नवीन
सखी मेरी, तेरा चित
पावन
इतनी सी बात
, ये विनय मेरी
तुझसे कहा प्रिय
मुझे और कोई
हो न कठोर
यु ऊपर भी
तेरे संग ही
मेरी डोर बंधी
हैं नहीं आज
कोई बात नयी
ये तो जन्मों
का रिश्ता है
मेरे सीपी से
ह्रदय में प्रिय
मोती सा प्रेम
तेरा बसता है
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