बड़े कठोर और
काले मन के
होते हैं
हम कवी
जली कटी भी
बड़ी अदा से
गीतों में परोस
देते है
जतन से पाले
कटु अनुभवों को
सुन्दर शब्दों की माला
से सजाकर
रख देते हैं
जस की तस
और हमारे
झूठे चाहने वाले
पहने मुखौटे
गलियां खाकर भी
अंजान
वाह वाह कर
जाते हैं
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