सजन जो बसे इन नैनन में अब 

कहाँ रत्ती भर जगह अब नींद और काजल की 

सोचती हूँ पुछु , इस नादाँ गगन से 

सावन में रुलाने वाले , क्यों परवाह बादल की 

Comments

Popular posts from this blog

Love is

प्रेम है