पिया मोरे मीठे पर मैं ही बड़ी तीखी
बस युही हर पल निहारे जरा भी चखी
बातो से इशारों से, करके सौ जतन हारी
स्वाद के  ये झगड़े, क्योंकर सुल्झाउ सखी

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