रहके करीब दिल के 
घाव चोखे किये तुमने 
हसके कभी मुस्कराके 
चोट अबतक सहे हमने 
कसर कोई नहीं बाकी 
कहने को बचा क्या
खुद को खुद से खोकर 
आखिर हमने पाया क्या 
खोखली हर याद 
अब है धुंधली परछाई
जब उजड़ चुका चमन
तो जाके तुमको याद आई
बिछाके पलके जो तेरी 
राह अबतक थे तकते 
थकहार पकड़ी राहे
बंधू अपने घर के 

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