अब
आ भी जाओ
की वो धड़कने नहीं
तुम्हारे दिल में मेरे
बेचैन होने की आहट है
हवाएं चलती है पर
खामोशियाँ है मीलों तक
पत्तो की सरसराहट भी
मेरे हाल से वाकिफ है
निगाह आ जाती है
वापस टकरा के आँखों में
होठ कहते नहीं कुछ
शोर इश्क़ का जाहिर है
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