मेरे सपने मेरे अरमा मेरी नींदे

सब लेजा , जो जाता है तू

देता जा बस एक उम्मीद

वापस आने की , गर देना है कुछ

काजल गजरे घुंघरू की

आवाज भी ले जा

लेकिन इनका क्या काम

वहां, जिस जग में रहता है तू

फिर भी मैं दूंगी बाँध

साथ में कोई निशानी

और रख लुंगी साँसों में

तेरी खुशबु , यहाँ बसता है तू

कहती हूँ अब भी वक़्त है

घर आज परदेशी

खामखाह बेवजह यु ही

भटका जाता है तू

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