किश्तों किश्तों में जिंदगी तेरे अरमा निकले
बड़ी देर से ही  सही मगर,  हाँ निकले  
गुजर गए थे हम कबके उठके अपनों की मेहफिल से
अब जाके हमें ढूढने, यारो के कारवां निकले

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