होगी
बड़ी दुनिया कही
मेरी तो छोटी सी है
कहानी हर रोज़ यहाँ
वही पुरानी दुहराती सी है
झिक झिक से खट पट तक
और बक बक से कहकहो की
दुरी तय करते करते थकती
रौशनी शामो और सुबहो की
हर मुश्किल में मुरझाने की बजाय
जिंदगी हर कदम, बढाती मेरा हौसला
जीने न जीने में उतना ही फर्क
जितना तुम्हारे होने और न होने का फासला
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