ले
हाथ , अपने हाथ में
सम्हाल अब से ये कमान
घर अब तो हम बना ले
कब तक रहेगा ये मकान
कोई कहे कुछ , कहने दो
नजरें तुमपे टिकाये, चलने दो
सफर न ख़तम हो कभी
ये मर्ज़ इश्क़ का अभी, रहने दो
मेरा सच जो सबका झूठ
सबका झूठ क्यों हो मेरा सच
कल्पनाओ की हकीकत
वो सपने , तेरा मेरा सच
आस्मां से बरसे बूंदो में दुआए
मींच के आंखे जब मैं देखु
हवा आग पानी मिटटी
हर ओर अक्श उसका देखूँ
खुद में भी उसको पा लूँ
न होने में भी वही है
क्या मिलना और क्या न मिलना
मैं हूँ, तो तू भी है
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