जान पहचान ही अब बाकी है
की अब अपने कई बात नहीं मिलते
रिश्तो की तार तो खूंटे अब भी टंगी है
पर अब तुमसे मेरे जज़्बात नहीं मिलते
रहते थे दिलो में, शायद अब भी कोना हो
पर यकीं है, अब तेरे-मेरे हालात नहीं मिलते
कितना कुछ पूछा और कहा करते थे घंटो
अब तो कितना चाहो, तो सवालात नहीं मिलते
सफर तय किया साथ,
मंजिल दिखने लगी तो समझे, खयालात नहीं मिलते
की अब अपने कई बात नहीं मिलते
रिश्तो की तार तो खूंटे अब भी टंगी है
पर अब तुमसे मेरे जज़्बात नहीं मिलते
रहते थे दिलो में, शायद अब भी कोना हो
पर यकीं है, अब तेरे-मेरे हालात नहीं मिलते
कितना कुछ पूछा और कहा करते थे घंटो
अब तो कितना चाहो, तो सवालात नहीं मिलते
सफर तय किया साथ,
मंजिल दिखने लगी तो समझे, खयालात नहीं मिलते
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