यु चढ़ा चाँद
आज रात की
रोशमी में जिस्म
तार तार हुए
यु हुआ इश्क़
की
तारे भी आने
से
बेज़ार से हुए
आँखों में नमी
और
हथेलियों
में नहीं
रंगे हिना आज
बिन तेरे ये
तमाम उम्र हम
बेकार ही जिए
फेक आये थे
उतार
कर लिबास चाहतो के
हम
ढूंढने फिर नंगे
पाओ क्या
उसपार फिर गए
रुसशवाईयां
मायुशियां
न अब बेवफा
कहलाने का डर
डर है कही
न सांस थमे
दीदार से पहले
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