जिंदगी यु ही
बस आगे बढ़ जाती है
एक कड़ी टूटे कभी
नयी कई जुड़ जाती है
वक़्त नहीं रुकता
नहीं रुकते लम्हो के पाँव
चलती है चाल तकदीर
नहीं थमती किस्मत की दाँव
क्या खोया और क्या पाया
अब कौन करे हिसाब अनेक
थक हार के जब भी खड़े हुए
आईने में दिखा बस चेहरा एक
किसका दामन अब थामे कौन
जब आंधियो के ज़ोर और शोर
अब टूटी नाव बचावे कौन
जब खूंटो ने ही छोड़ी डोर
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