बेहया बारिश तू कब
खूंटे से बंध रह पायेगी
हर गुजरते बादल के संग
वक़्त बेवक़्त बिखर जाएगी
इश्क़ है तुझको ज़मी से
पर बात है वो राज़ की
खोखली उम्मीद की बूंदे
छूकर कुछ तो कभी बतलायेगी
तेरा सजन ताके तुझे
पर बोलता कुछ भी नहीं
पर रूठकर जाए चली
वो बेवफा तू भी नहीं
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