मैं कविता नहीं लिखती

बस शब्द सजाती हूँ

अलग अलग तरीके से

की मिले पंख

उन्हें जिन्होंने बस देखा हैं

परिंदो को फड़फड़ाते

पिंजरो में

वो जाने

की ये मासूम

उड़ जो पाता तो क्या

इंद्रधनुष लपेट लाता?

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