हवा तो बस एकबार चली थी
जब तुमने कंधो पे सर रखा था
और वो जुल्फ उडी थी
हवा तो बस उसबार चली थी

 

आसमान तो लाल एकबार हुआ था
जब हथेलियों पे तेरे मेहँदी का रंग चढ़ा था
और खुशबु से ये आंगन मदहोश हुआ था
आस्मां लाल हाँ उसीबार हुआ था

 

ढली थी धूप बस एक बार
नज़रे झुकी थी और तुमने इकरार किया था
जलती तपती धरती को तुम्हीने सुकून दिया था
हाँ, बस एकबार ढली थी धूप

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