बुनते होये धागों को
जब उंगलियो में लपेटती होगी
कुछ तो हिस्सा उनका
बाकि, पीछे छोड़ती होगी?
वरना हर बार क्यों
जब ये स्वेटर ओढ़ते हैं
तुम्हारे छू जाने से
एहसास गुजरते हैं
शिकायत भी होती है
की जो तुम अनवरत बुनती हो
क्यों ये अनुभव बस मेरे
सबमें बाटती फिरती हो?

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