जानबूझ के ज़िक्र तेरा

पहले मुझसे करते हैं

फिर बदलते मेरे चेहरे के

मज़मून को पढ़ते है

नाम लेना तुम्हारा

यु तो हमको भी भाता है

पर हाले दिल छिपाना

कमबख्त, नहीं आता है

Comments

Popular posts from this blog

Love is

प्रेम है