बहक बहक

लहक लहक

चाँद तुम

रात भी तुम

बाँध कर
 
बाहो के अंधेरो में

आज तुम लिख जाओ

एक फ़साना
 
की कुछ रह

पाए बाकि

सासो में मेरी साँसे

आँखों में मेरी आंखे

दरम्यान ज़ाम खाली

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