बादलो 

बरस के जाओ मेरे अंगना 

में आज 

के जी भर के भीगना है

गरज भी जाना

की कोई सुन पाए 

कलेजा चीर

एकाकी मन को चीखना है 

मुस्कराती रहूंगी 

मैं, फैला के बाहें 

बस बरसेंगी यहाँ 

तुम संग निगाहे

निचोड़ के आँचल

समेट के मैं पल्लू 

तेरे संग आज कुछ ही पल 

मैं, मैं तो बन लूँ 

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