कोई दवा कोई मरहम

करे है असर, ये कैसा मर्ज़?

 चलती सांसे पर धड़कने

जैसे, उसी का दिया क़र्ज़

जलने से जले

बुझे, क्यों कर लगी ये चिंगारी

हमने तो कभी निभाई

तू ही कर, अब तेरी बारी

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