ये जो चाँद तेरे नयनो में है

हम ही तो नहीं?

जो नींद खयालो में बिखरे

मिल गए कही?

ये ख़ामोशी ये मदहोशी

तन्हाई का आलम क्यों

नहीं इंतज़ार नहीं मिलना फिर

बेताबी है किसको क्यों?

झूम झूम अब घूम घूम

हाले दिल अब बयां करो

नज़र मिली और इश्क हुआ है

रहे ये कायम , दुआ करो

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