हरेक सिलवटो में दिल के

बांध के अबतक

 छिपा रखी है महक

इसे ही ओढ़ के सोती हूँ

सुलगती हैं रात भर

ये चिंगारी , ये लहक

Comments

Popular posts from this blog

मर्यादा

वट सावित्री

प्रेम है