गहरी सी कोई बात

चुभती सी कोई याद

बरसते से कुछ लम्हे

तरसते से कुछ जज़्बात

यही तो बस, इकाई

मेरे रूह के जमी होने की

भूलती सी मैं अब, दुहाई

तेरा मुझे यु, छोड़ दे जाने की

एक ही तो है

इश्क़ मेरा हो के तेरा

क्या पाना क्या निभाना

बस, बंद आंख में बसेरा

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