प्रेम
कैसे करते हैं
आकुल हो
व्याकुल हो
कभी ह्रदय
तो कभी मन
के भ्रमो में फंस
अनाप सनाप
रो कर मनाकर
कभी कह कर
फुसलाकर
तो कभी नैनो में
बांध रोक
पथ्थर सीने पर
होठो पर कसकर मौन
भी तो
कर लेते है प्रेम
और भला कौन सी
पद्धति बाकी है
और कैसे करते हैं प्रेम?
कैसे करते हैं
आकुल हो
व्याकुल हो
कभी ह्रदय
तो कभी मन
के भ्रमो में फंस
अनाप सनाप
रो कर मनाकर
कभी कह कर
फुसलाकर
तो कभी नैनो में
बांध रोक
पथ्थर सीने पर
होठो पर कसकर मौन
भी तो
कर लेते है प्रेम
और भला कौन सी
पद्धति बाकी है
और कैसे करते हैं प्रेम?
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