हलाहल तो कंठ में
हम भी रखते हैं शिव 
उसे ह्रदय तक पहुँचने
पर देते नहीं 

कड़वी जिह्वा सही
पर स्नेह और प्रेम 
जहाँ बसते है वहां 
सत्य मरते नहीं 

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