आ चलो
बरसे मेघा बन
आंगन आंगन
थिरके नाचे
चमके जुगनू बन
चंचल घन वन
बस रुके नहीं
कोई बांध ले
करके बात लुभावन
फिर सड़ती नाली
और मृत कीट
रह जाये जीवन
आज़ाद करो
आज़ाद रहो
है प्रेम जो प्रीतम
बरसे मेघा बन
आंगन आंगन
थिरके नाचे
चमके जुगनू बन
चंचल घन वन
बस रुके नहीं
कोई बांध ले
करके बात लुभावन
फिर सड़ती नाली
और मृत कीट
रह जाये जीवन
आज़ाद करो
आज़ाद रहो
है प्रेम जो प्रीतम
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