स्नेह क्यों यु ही 
बिखेरू
रेत के टीलों पे
जो बरसे अगर 
तो सींच सकती है 
कितने ही उपवन
युग युगो तक

Comments

Popular posts from this blog

मर्यादा

प्रेम - तलाश ख़त्म

वट सावित्री