किसी ने कहा की
रिश्ते तो अब बस
ट्रांसक्शन बन गए
पर सच पूछो तो
वो भी कहाँ बचा है
बिज़नेस में तो
मोल भाव दर दाम
करते हैं
कुछ बेचते है तो
मोल दे कुछ
खरीदते भी हैं
बाजार की भीड़
इच्छा अनिच्छा
खाते हैं धक्के
घूम फिर लेकिन
वहीँ हर बार
आते है.
मैं तो कहती हु
आपने रिश्तो को
समझा है बुरा सपना
नींद में आये पर
जगते ही भुलाते हो
उन्हें रखते हो सच से दूर
जतन से पालते हो डर
पहचानते नहीं
तो आखिर ये बचे क्यूकर
रिश्ते तो अब बस
ट्रांसक्शन बन गए
पर सच पूछो तो
वो भी कहाँ बचा है
बिज़नेस में तो
मोल भाव दर दाम
करते हैं
कुछ बेचते है तो
मोल दे कुछ
खरीदते भी हैं
बाजार की भीड़
इच्छा अनिच्छा
खाते हैं धक्के
घूम फिर लेकिन
वहीँ हर बार
आते है.
मैं तो कहती हु
आपने रिश्तो को
समझा है बुरा सपना
नींद में आये पर
जगते ही भुलाते हो
उन्हें रखते हो सच से दूर
जतन से पालते हो डर
पहचानते नहीं
तो आखिर ये बचे क्यूकर
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