जितनी जल्दी मैं
मन में बेस तुम्हारे प्रेम
की जड़ों को
तुम्हारी स्मृतियों से सींचना
बंद कर दूँ
उतना अच्छा
पर ये कम्बख्त
बेमौसम की बारिश का क्या
जो इसे नाहक
बरसो से
हरा रखे है
अब तो
ऐसी फ़ैल गयी है
की
जो ये पेड़ कटे
तो मेरी जान जाय

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