कैसे तो बादलो में जैसे
जैसे रौशनी थम सी गयी है
पिघलते पिघलते जिंदगी
फिर जम सी गयी है
सर्द हवा कोई चुपचाप
छू के बहे जाती है
खामोश कुहासों में
कहानी कोई कहे जाती है
हैं रंग हैं आंखे
पर है रौशनी नहीं
सूरज की जोहे बाट
रूह ऐसे ही जिए जाती है
जैसे रौशनी थम सी गयी है
पिघलते पिघलते जिंदगी
फिर जम सी गयी है
सर्द हवा कोई चुपचाप
छू के बहे जाती है
खामोश कुहासों में
कहानी कोई कहे जाती है
हैं रंग हैं आंखे
पर है रौशनी नहीं
सूरज की जोहे बाट
रूह ऐसे ही जिए जाती है
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