आओ ज़रा रंग तुम्हे 
हम भी लगा ले 
झोली में मेरे जो है 
उसी से तुम्हे सजा दे 

लाल हरे नीले पीले 
सुख दुःख सुलह शिकायते 
मनुहार कुछ, कुछ झिड़किया 
कुछ उलझी सुलझी बाते 

आओ की अब होली कहाँ 
हर रोज़ होती है 
आओ की बेरंग रहने को 
जिंदगी महंगी है

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