शिव रात्रि है आज , सोशल मीडिया पे बहुत सारे सन्देश आ रहे हैं पिछले कई दिनों से. मैंने आज व्रत नहीं रखा , पिछले कई सालो से नहीं किया. घर पर शिवलिंग है, कभी किसी ने उपहार दिया था.हर रोज़ उसपर जल भी नहीं चढ़ता।क्या शिव क्रोधित हो जायेंगे मुझपर? क्या मैं भयभीत हो जाऊं और शीघ्र क्षमा प्रार्थना करून? आज महा शिवरात्रि है, शायद क्षमा मिल भी जाये. पर बात ये भी तो है की कही दिन ग्लानि में व्यर्थ ही न हो जाये. क्यों न मैं ये समय शिव चिंतन में ही लगा दूँ। जो मुझे जानते हैं उन्हें स्वतः ही ये ज्ञान हो गया होगा की मैं कदापि क्षमा ग्लानि और शोक में एक क्षण भी न व्यर्थ करू. जीवन अति बहुमूल्य है और शिव सर्वत्र विद्यमान अंतर्यामी और सर्वद्रष्टा। तो फिर शिव क्या है?मेरे शिव हैं , मेरे अंदर समाहित सदैव रहने वाले आत्मिक ऊर्जा के कण. दुःख शोक और अपमान में कोलाहल करने की क्षमता और भय के परे रख विनाश कर के नव निर्माण प्रसस्त करने का आश्वाशन हैं शिव. नृत्य संगीत में अभिवयक्ति ढूँढ़ते , कंठ में विष को समेटे , सर्प और भूत प्रेतों को भी मित्रता का पात्र मान ग्रहण करते , रहते हैं शिव. शिव के तत्वों का मोह तो नहीं परन्तु सती के प्रेम विरह से ब्रह्माण्ड को शोकाकुल करने में जिन्हे संकोच नहीं , सत्य के स्वरुप है मेरे शिव.
मर्यादा
मीरा की छाती धौंकनी सी चल रही हैं, टांगो के बीच है फंसा एक यन्त्र और स्क्रीन पर नजरे टिकाये नर्स. जिसका डर है, वही बात है. मीरा की ही धड़कनो की एक प्रतध्वनि से कमरा गूँज उठा है. बधाई हो , बिलकुल नार्मल और हैल्थी प्रेगनेंसी है धड़कने और तेज़, गर्दन टेढ़ी कर स्क्रीन पर देखती है. एक काला धब्बा छोटा बड़ा हो रहा है , कुछ अंक इर्द गिर्द डूब उभर रहे हैं। कौन है ये ? इसको जीवन कहूँ या नहीं ? ह्रदय विचलित है और आंखे भर भर उलझ रही है। नर्स चुपचाप अपना काम कर रही है , उसकी तो दिनचर्या है। २ घंटे के बाद मीरा का नम्बर आया था , उसके पहले न जाने कितने और शरीर और कितनी और धड़कनो की चित्र आंक चुकी है आज ये मशीन. किर्र किर्र की आवाज और मीरा के हाथ में एक तस्वीर थमा देती है. मीरा अनायास उसे ले लेती है. अब आप चेंज कर लीजिये और डॉक्टर से मिल लीजिये। मशीन अब नहीं है टांगी के बीच लेकिन और भी बहुत कुछ तो है ? क्या करूँ ? कैसे कहूँ ? उसने तो कह ही दिया था, उसी दिन. " जाओ देख लो, जो करना है. " इको होती रहती हो वो ठंढी आवाज और उसक...
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