नहीं नहीं
दर्शक दीर्घा में नहीं
मुझे आवश्यक है
तुम्हारा यहाँ होना
इस जीवन के रंग मंच पर
मेरे साथ, मेरे पास
उत्सुक, व्यस्त , बेचैन
और थिरकते कभी संग
नहीं नहीं
नहीं होने दे सकती मैं तुम्हे
तालियों के गड़गड़ाहट में
खोयी एक आवाज
या कहा सुनी की एक
फुसफुसाहट
तुम्हे यहाँ डट कर खड़ा होना है
मैदान पर
मेरे साथ , मिलकर कंधे
होकर एक जुट
अभी , इसी वक़्त
और
सदैव

Comments

Popular posts from this blog

मर्यादा

वट सावित्री

प्रेम है