हाँ, अब मेरा देश  यही है. 

आखिरकार मैंने लकीरों के आगे घुटने टेक दिए और अपनी सरहदें बना ली. कितनी बार आख़िर मेरे बचपन दोस्त, पडोसी और घरवाले तक मुझे समझाते रहेंगे की "तुम क्या जानो, तुम यहाँ नहीं रहती". हाँ, अब मेरा देश  यही है. 

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