जब एक संग , सारी खड़ी
हर रूप में
हर रंग में
हर वेश में
और ढंग में
हे नारी तुम
तुम शक्ति भी
तुम स्नेह में
तुम भक्ति भी
हर बर्ग में
हर पांत में
मानवता की
हर बात में
सर उठा के तुम
पग बढ़ा के तुम
वो उड़ चली
पर लगा के तुम
अब रोके कौन
अब बांधे कौन
जब एक संग
सारी खड़ी
हर रंग में
हर वेश में
और ढंग में
हे नारी तुम
तुम शक्ति भी
तुम स्नेह में
तुम भक्ति भी
हर बर्ग में
हर पांत में
मानवता की
हर बात में
सर उठा के तुम
पग बढ़ा के तुम
वो उड़ चली
पर लगा के तुम
अब रोके कौन
अब बांधे कौन
जब एक संग
सारी खड़ी
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