कृष्ण अईहै
मथुरा से , लिए डोली कहार
ब्रज की गलिया ,
जमुना की करे लहरे पुकार

कहे राधा न बोल सखी
कृष्ण अब कहाँ
भरे नैनो में नीर
जोड़े कर , करे गुहार

जो  रंगू रंग श्याम
जो धोऊँ रंग श्याम
कान्हा बाहर कान्हा मन में
अब राधा भी तो श्याम

श्याम अईहै अबके होरी
बोले कोयल ब्रज की सारी
मूंदे अंखिया, ढरके आँसु
मैं तो प्रेम रंग बोरी
मैं तो श्याम रंग होरी



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