एक आंच ही तो है
धीमी धीमी सी 
एक जलन ही तो 
मीठी ठीक सी 
घुलते जाते हैं 
अरमां ख्वाब और वजूद
जिंदगी हो जाती है
मीठी चासनी सी 

Comments

Popular posts from this blog

मर्यादा

प्रेम - तलाश ख़त्म

वट सावित्री