न क़र्ज़ हूँ
न फ़र्ज़ हूँ
न तेरे दिल का मर्ज़ हूँ
न शर्त हूँ
न हर्ज़ हूँ
न आरजू की गर्त हूँ
जो तेरी धड़कनो ने गायी
मैं उन धुनों की तर्ज़ हूँ
वो जो एक जैसे सिसक थी?
महज़ वही तो मैं दर्द हूँ
न फ़र्ज़ हूँ
न तेरे दिल का मर्ज़ हूँ
न शर्त हूँ
न हर्ज़ हूँ
न आरजू की गर्त हूँ
जो तेरी धड़कनो ने गायी
मैं उन धुनों की तर्ज़ हूँ
वो जो एक जैसे सिसक थी?
महज़ वही तो मैं दर्द हूँ
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