कौन हो तुम ?

सच  हुए अनदेखे सपने ?
या बेमौसम की बरसात
भोर की रोशन किरणे
या जगने वाली रात

या हो आँखों का काजल तुम
जो बहने जब तब लगता है
या हो तुम मेरे सीने का तिल
जिसे जतन से छिपा रखा है

या हो मेरे हाथ की रेखा
या हो बस एक कौतुहल
मन के कोने कोने को सींचे
तेरे  अरमानो का जल

आखिर हो कौन तुम?

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