क्या और कैसे 
जोड़ेंगे कभी ?
ये दो थोड़े टूटे से 
कांच के बर्तन 

क्यों और कब 
भिगोने लगे 
मेरे मन को , वो जो 
करते हैं तेरी आंखे नम 

क्यों हम सुनने लगे 
खामोशियाँ एक दूसरे की 
जुड़ता सा गया नाता 
सच,मेरी कसम 

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