कहाँ तलक ये रास्ता

कभी दो पल बाँट लिए
कभी तो कोई बात
कभी कर ली एक लड़ाई
फिर उसी पल सुलह

इससे ज्यादा मुझे नहीं पता
कौन सा वास्ता ?

कभी मैंने  सुन ली
हर अनकही तेरी
कभी तुम समझ गए
मेरी चुप्पी

इससे ज्यादा मुझे नहीं पता
कौन सा रिश्ता ?

राह यूं टकरा गए
चलते हुए कही
कुछ कदम संग चल लिए
लिए हलकी सी हंसी

इससे ज्यादा मुझे नहीं पता
कहाँ तलक ये रास्ता ?




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